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दशलक्षण महापर्व के समापन पर उत्तम क्षमा धर्म के तहत जीव मात्र से क्षमा मांगी गई ।

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में दस दिनों तक चलने वाला दशलक्षण महापर्व का उत्तम क्षमा धर्म के साथ ही समापन किया गया । आयोजित धार्मिक अनुष्ठानों का समापन उत्तम क्षमा पर्व के साथ किया गया। इस अवसर पर पारस ज्योति मंडल की ओर से विशेष कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने भाग लिया। कार्यक्रम के अंत में उत्तम क्षमा पर्व मनाते हुए श्रद्धालुओं ने एक-दूसरे से क्षमा याचना कर आत्मशुद्धि का संकल्प लिया।साथ ही कार्यक्रम के दौरान भजन संध्या के साथ धार्मिक परश्नोत्तरी का आयोजन की भी गई। जिसमें उपस्थित महिला -पुरुष, बच्चों ने इसमें भाग लिया और प्रश्नों का सही उत्तर दे कर पारितोषिक पाया पारस ज्योति मण्डल ने विशिष्ट कार्य करने वाले ब्यक्ति को मंच से सम्मान भी किया। 

इस अवसर पर श्रावक श्राविकाओं को संबोधित करते हुए मुनियों ने कहा कि मन क्रम एवं वचन से किए हुए क्षमयाचना को उत्तम क्षमा कहते हैं कहा कि सब जिवों से क्षमा एवं सब जिवों को क्षमा ही उत्तम क्षमा धर्म है । छोटा सा संसार गलतियां अपार,पास है क्षमा का अधिकार यही तो मूल मंत्र है । मन से बाहर निकल कर वचनों से क्षमा प्रार्थना करने का नाम ही क्षमा वाणी है । उत्तम क्षमा धर्म मधुबन के तीस चौबीसी मंदिर, विमल समाधि मंदिर, 20 पंथी कोठी के जिनालयों, त्रियोग आश्रम, गुनायतण, सहित कई मंदिरों में बड़े हर्ष व उल्लास के साथ 10 लक्षण महापर्व का समापन उत्तम क्षमा धर्म के साथ किया गया । कार्यक्रम को सफल बनाने में सुमन कुमार सिन्हा, अतुल बघेरवाल, शैलेन्द्र सिंह, मनोज जैन,नागेंद्र सिंह,अमित जैन, आकाश जैन, राजेश जैन,रवि जैन, विशाल जैन, अमित सिन्हा, राहुल जैन, संजय जैन,संतोष ठाकुर,माहिर जैन के अलावे देश भर के कोने कोने से पधारे श्रद्धालु पुरुष - महिला बच्चे वगैरह उपस्थित थे।

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