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आजादी के 75 साल बाद भी विकास की किरण को खोजते लोग।

*अब भी 3 गांव के लोग एक डाडी पर पानी पीने को मजबूर।

गौरव भक्त
पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

             

आजादी के 75 साल बीत जाने के बाद भी विकास की किरण को लोग ढुंढ रहें हैं । आज भी तीन तीन गांव के लोग एक डाडी में पानी पीने को मजबुर है । पीरटांड़ प्रखंड से अब तक दो मंत्री भी बन चुके हैं लेकिन समस्या जस की तस बनी हुई है । वर्तमान में भी इसी प्रखंड से सुदीप्य कुमार सोनु झारखंड सरकार में मंत्री हैं,तब भी नतीजा ढाक के तीन पात है । पीरटांड़ प्रखंड के सुदूरवर्ती इलाकों में विकास की तस्वीर कहीं नजर नहीं आती। यह हालात बताते हैं कि शासन और प्रशासन की योजनाएं कागजों पर तो बनती हैं, लेकिन जमीनी हकीकत अब भी ज्यों की त्यों है।इसी कड़ी में बांध पंचायत अंतर्गत बेकटपुर गांव का उदाहरण लिया जा सकता है। यहां स्थित एक डाड़ी (छोटा कुँवा जल स्रोत) से आज भी करीब 65-से 70 घरों के लोग अपनी प्यास बुझाने को विवश हैं।

न केवल बेकटपुर गांव बल्कि नावाडीह गांव और खुखरा पंचायत के आसोरायडीह गांव के लोग भी इसी डाड़ी का पानी पीते हैं।गांव वालों का कहना है कि इस जलस्रोत पर पूरी आबादी की निर्भरता है, लेकिन अब तक किसी भी जनप्रतिनिधि या प्रशासनिक अधिकारी ने इस दिशा में ध्यान देना जरूरी नहीं समझा। न तो यहां पर शुद्ध पेयजल की व्यवस्था की गई और न ही डाड़ी को साफ-सुथरा रखने की कोई पहल की गई है। लोग मजबूरी में दूषित और गंदा पानी पीने को विवश हैं।स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि गर्मी के मौसम में पानी का स्तर काफी नीचे चला जाता है, तब और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।

अक्सर पानी की कमी और स्वच्छ जल न मिलने की वजह से बीमारियां भी फैलती हैं।ग्रामीणों ने प्रशासन और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया है कि जल्द से जल्द यहां पेयजल की समुचित व्यवस्था की जाए, ताकि तीन-तीन गांव के लोग एक ही डाड़ी के सहारे रहने की मजबूरी से बाहर निकल सकें।स्पष्ट है कि जब तक गांवों में मूलभूत सुविधाएं जैसे सड़क, बिजली और पानी की समस्याओं का समाधान नहीं होता, तब तक विकास की बातें केवल दिखावा ही साबित होंगी। 65 से 70 घरों की लगभग 350 आबादी आज भी एक डाडी पर निर्भर है । वहीं सड़क एवं स्वास्थ्य की भी समुचित व्यवस्था नहीं रहने से लोगों को राम भरोसे जीना यापन करना पड रहा है ।

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