दशलक्षण पर्व पर प्रारम्भ हुआ धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम ।
SHIKHAR DARPANFriday, August 29, 2025
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पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।
जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थस्थल मधुबन स्थित शमवशरण मंदिर में दसलक्षण पर्व के अवसर पर दस दिवसीय धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों की शुरुआत की गई। गत वर्ष की भांति इस वर्ष भी पारस ज्योति मंडल की ओर से दिगम्बर जैन बीसपंथी कोठी के शमवशरण मंदिर में कार्यक्रम का आयोजन किया जा रहा है।मंदिर परिसर में भजन संध्या के साथ साथ धार्मिक प्रश्नोत्तरी का आयोजन भी हुआ। इसमें बड़ी संख्या में महिला-पुरुष और बच्चों ने भाग लिया। सही उत्तर देने वाले प्रतिभागियों को पारितोषिक देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में मंच संचालन ब्रह्मचारिणी सुनीता दीदी गुनायतन मधुबन के द्वारा किया गया। कार्यक्रम में पारस ज्योति मंडल के अध्यक्ष सुमन कुमार सिन्हा, कार्यकारी अध्यक्ष अतुल बघेरवाल, इंदौर, उपाध्यक्ष शैलेन्द्र सिंह, महामंत्री मनोज जैन, कोषाध्यक्ष,नागेंदर सिंह, मण्डल सदस्य अमित जैन, आकाश जैन, राजेश जैन,रवि जैन, विशाल जैन, अमित सिन्हा, राहुल जैन, संजय जैन,संतोष ठाकुर,माहिर जैन के अलावे देश भर के कोने कोने से पधारे श्रद्धालु पुरुष - महिला बच्चे आदि उपस्थित थे।
वही दसलक्षण पर्व के उपलक्ष्य में दस दिनों तक विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। इससे पूरे मधुबन का माहौल पूरी तरह भक्ति और आस्था से सराबोर हो गया है। इधर अणिंदा पार्श्वनाथ जिनालय में द्वितीय दिवस उत्तम मार्दव धर्म का पालन किया गया । श्री अणिंदा पार्श्वनाथ जिनालय में संत शिरोमणि आचार्य विद्यासागर महाराज एवं अभिनव आचार्य समय सागर जी महाराज के मंगल आशीर्वाद से आर्यका रत्न गुणवती माताजी के सानिध्य में अभिषेक शांति धारा के साथ कार्यक्रम प्रारंभ हुआ उसके पश्चात संगीत में पूजन का आयोजन किया गया वहीं संध्याकालीन संगीत भक्तांबर प्रश्न मंच एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए । मौके पर अपने प्रवचन में गनमती माताजी ने कहा कि मार दो धर्म की बात आप सुनना चाह रहे हैं और अपने आप को कड़े बनते चले जा रहे हैं । कहा कि जो मृदु होता है वह टूटा नहीं और जो कठोर होता है वह टूटे बिना रहता नहीं । माताजी ने कहा कि मार्दव हमें यह सिखाता है कि बड़े होने का घमंड नहीं करना चाहिए छोटों के प्रति सम्मान होना चाहिए । कहा कि नम्रता से ही सच्ची महानता आती है अहंकार छोड़कर ही आत्मा का उत्थान होता है । इस महापर्व पर हम सब मिलकर उत्तम मार्दव का संकल्प लें ।