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दशलक्षण महापर्व के दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ।‌

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में जैन धर्मावलंबियों द्वारा पर्वराज पर्युषण के दसवें दिन शनिवार को उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का पालन किया गया । तीर्थस्थल मधुबन में इस अवसर पर आचार्यों, मुनियों, साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका एवं साधकों द्वारा आस्था और भक्ति के साथ उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का पालन करते हुए जिनालयों में विषेश पूजा अर्चना की गई । पर्व के दसवें दिन उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म के रूप में मनाया गया। इस मौके पर सुबह जिनालयों , मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा वातावरण भक्ति व आध्यात्म से सराबोर हो गया। सुबह के समय मंदिरों में श्रद्धालुओं ने अभिषेक, शांति धारा और भक्ताम्बर पूजन किया। दिनभर धार्मिक अनुष्ठानों का दौर चलता रहा। दोपहर में प्रवचन और सत्संग का आयोजन हुआ, वहीं संध्या कालीन सत्र में भक्ताम्बर पाठ, प्रश्न मंच और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर श्रद्धालुओं को धर्म के महत्व से अवगत कराया गया। इस अवसर पर साधु साध्वीओं ने अपने प्रवचनों में कहा कि उत्तम ब्रह्मचर्य आत्मा की उपासना के लिए वासना का नियंत्रण परम अनिवार्य है ।

हमारा हृदय भी एक घर ही है, क्या इस घर को सजाने का विचार कभी हमारे मन में आता है । इस घर की सजावट के लिए चाहिए शांति ,संतोष,सहिष्णुता और कोमलता  । ब्रह्म का अर्थ होता है आत्मा और अब्रह्म का अर्थ होता है शरीर ।  आत्मा में आत्मा का खो जाना ब्रह्मचर्य कहलाता है ।और शरीर से शरीर का मिल जाना अब्रह्म है  । अतः शरीर से ऊपर उठकर आत्मा को परमात्मा की ओर बढ़ो इसे उत्तम ब्रह्मचर्य कहते हैं । उत्तम ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति को ब्रह्मांड संबंधी ज्ञान और आंतरिक शक्ति की प्राप्ति होती है । इस दिन लोग स्वयं में सद्भाव और सद्गुणों को विकसित करने का संकल्प लेते हैं ।‌ कहा कि दिशा दिखाने वाला सही मिल जाए तो, दिए का प्रकाश भी सूर्य का काम करता है । जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी को दशलक्षण धर्म में उत्तम ब्रह्मचर्य धर्म का दिन माना जाता है आज ही के दिन भगवान वासुपूज्य निर्वाण को प्राप्त किया था ।  अंतः जैन धर्म में अनंत चतुर्दशी का बड़ा महत्व है ।

इस अवसर पर मधुबन शिखरजी में विराजमान निर्यापक श्रवण मुनि समता सागर जी महाराज के सानिध्य में श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन किया गया है । वही वासुपूज्य भगवान को उनके निर्माण दिवस के अवसर पर जिनालय्यों में निर्माण लाडू चढ़ाया गया । मौके पर समलशरण मंदिर में पारस ज्योति मंडल द्वारा धार्मिक प्रश्न मंच का आयोजन किया गया जहां प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया । कार्यक्रम सौरभांचल, सन्मति साधना सदन, त्यागी व्रती आश्रम,लेवेन्च्यु भवन, उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन, निहारिका,भरत कुसुम मोदी भवन, इलायची माता मंदिर,कांच मंदिर,20 पंथी कोठी,13 पंथी कोठी,गुणायतन सहित कई मंदिर में पूजा अर्चना की गई । कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोज जैन, बी एन चौगुले, अतुल बघेरवाल,सुमन कुमार सिन्हा,नागेंद्र सिंह,पवन कुमार शर्मा, सत्येंद्र जैन,विनोद जैन, राजू जैन, अरविंद जैन, डिंपल जैन,राहुल कुमार, अतुल जैन, अतिशय जैन सहित कई लोगों की भूमिका सराहनीय रही ।

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