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दशलक्षण महापर्व के नवें दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म का पालन करते हुए मंदिरों में श्रद्धालुओं की उमड़ी भीड़ ।‌

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में जैन धर्मावलंबियों द्वारा पर्वराज पर्युषण के नवें दिन शुक्रवार को उत्तम आकिंचन्य धर्म का पालन किया गया । तीर्थस्थल मधुबन में इस अवसर पर आचार्यों, मुनियों, साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका एवं साधकों द्वारा आस्था और भक्ति के साथ उत्तम आकिंचन्य धर्म का पालन करते हुए जिनालयों में विषेश पूजा अर्चना की गई । पर्व के नौवें दिन उत्तम आकिंचन्य धर्म के रूप में मनाया गया। इस मौके पर सुबह जिनालयों , मंदिरों में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी और पूरा वातावरण भक्ति व आध्यात्म से सराबोर हो गया। सुबह के समय मंदिरों में श्रद्धालुओं ने अभिषेक, शांति धारा और भक्ताम्बर पूजन किया। दिनभर धार्मिक अनुष्ठानों का दौर चलता रहा।

दोपहर में प्रवचन और सत्संग का आयोजन हुआ, वहीं संध्या कालीन सत्र में भक्ताम्बर पाठ, प्रश्न मंच और सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन कर श्रद्धालुओं को धर्म के महत्व से अवगत कराया गया। इस अवसर पर साधु साध्वीओं ने अपने प्रवचनों में उत्तम आकिंचन्य धर्म पर प्रकाश डालते हुए कहा कि परिग्रह , परिचय और परिवार के त्याग के बिना आकिंचन्य धर्म प्रगट हो नहीं सकता, अतः आप जिससे घिरे है उनसे मुक्त होकर अकेले होने की साधना करो ,यही उत्तम आकिंचन्य धर्म कहलाता है । उत्तम आकिंचन्य धर्म हमें मोह माया का त्याग करना सिखाता है । सभी प्रकार की मोह माया और प्रलोभनों का त्याग करके ही परम आनंद और मोक्ष की प्राप्ति संभव है । अगर कोई आप को नीचा दिखाना चाहता है तो इसका मतलब आप उससे काफी उपर है । आकिंचन धर्म मुनी महाराजों का धर्म है । और ख्याति पूजा लाभ के बशीभूत होकर के जो व्यक्ति विद्या सिद्ध करता है उसके लिए सचित्त परिग्रह भी होता है ।‌ सौभाग्य से श्रमण जो की बना हुआ है सच्चा जिसे प्रशम भाव मिला हुआ है ।

कभी उसे निर्जरा को जो नाशती जन्म मृत्यु तथा जरा को इसी ही उत्तम आकिंचन्य कहते हैं । इस अवसर पर मधुबन शिखरजी में विराजमान निर्यापक श्रवण मुनि समता सागर जी महाराज के सानिध्य में श्रावक संस्कार शिविर का आयोजन किया गया है । मौके पर समलशरण मंदिर में पारस ज्योति मंडल द्वारा धार्मिक प्रश्न मंच का आयोजन किया गया जहां प्रतियोगिता के विजेताओं को सम्मानित भी किया गया । कार्यक्रम सौरभांचल, सन्मति साधना सदन, त्यागी व्रती आश्रम,लेवेन्च्यु भवन, उत्तर प्रदेश प्रकाश भवन, निहारिका,भरत कुसुम मोदी भवन, इलायची माता मंदिर,कांच मंदिर,20 पंथी कोठी,13 पंथी कोठी,गुणायतन सहित कई मंदिर में पूजा अर्चना की गई । कार्यक्रम को सफल बनाने में मनोज जैन, बी एन चौगुले, अतुल बघेरवाल,सुमन कुमार सिन्हा,नागेंद्र सिंह,पवन कुमार शर्मा, सत्येंद्र जैन,विनोद जैन, राजू जैन, अरविंद जैन, डिंपल जैन,राहुल कुमार, अतुल जैन, अतिशय जैन सहित कई लोगों की भूमिका सराहनीय रही ।

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