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धनवार प्रखंड में मिशन निपुण भारत के तहत मोबाइल लाइब्रेरी वैन का शुभारंभ।

गिरिडीह,शिखर दर्पण संवाददाता।

मिशन निपुण भारत के अंतर्गत झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद, रांची द्वारा संचालित मेरा विद्यालय निपुण एवं मैं भी निपुण कार्यक्रम के तहत सोमवार को धनवार प्रखंड में मोबाइल लाइब्रेरी वैन का शुभारंभ किया गया। इस वैन को स्वर्गीय पुनीत राय स्टेडियम से प्रखंड विकास पदाधिकारी देवेन्द्र कुमार दास, अंचलाधिकारी यशवंत कुमार सिन्हा, प्रखंड कार्यक्रम प्रबंधक रवि कुमार, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी संतोष कुमार, रूम टू रीड इंडिया ट्रस्ट के डिस्ट्रिक्ट लीड सुजीत कुमार एवं प्रोग्राम एसोसिएट पियूष पांडेय ने संयुक्त रूप से हरी झंडी दिखाकर रवाना किया।शुभारंभ कार्यक्रम में पीरामल फाउंडेशन के गांधी फेलो सौरभ कुमार, मास्टर ट्रेनर पवन कुमार, देवानंद राय सहित प्रखंड संसाधन केंद्र के कर्मी भी मौजूद रहे।इस अवसर पर प्रखंड विकास पदाधिकारी देवेंद्र कुमार दास ने कहा कि शिक्षा विभाग की यह अभिनव पहल है। इसका उद्देश्य प्रखंड के सभी विद्यालयों में पुस्तकालय के प्रभावी उपयोग के माध्यम से बच्चों को पठन-पाठन की ओर प्रेरित करना है। उन्होंने कहा कि लक्ष्य यह है कि कक्षा 2 तक के बच्चे पढ़कर समझना सीख जाएं और "निपुण धनवार" की दिशा में आगे बढ़ें।

अंचलाधिकारी यशवंत कुमार सिन्हा ने कहा कि मोबाइल लाइब्रेरी वैन बच्चों को कहानी और साहित्य की दुनिया से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगी। वहीं, डिस्ट्रिक्ट लीड सुजीत कुमार ने कहा कि यह केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं है बल्कि इसे विद्यालय के कक्षा संचालन का अभिन्न हिस्सा बनाना होगा ताकि बच्चे प्रतिदिन पढ़ने की आदत विकसित कर सकें।शुभारंभ के बाद वैन उत्क्रमित मध्य विद्यालय विशुनपुर, धनवार और पीएम श्री मध्य विद्यालय धनवार पहुंची। यहां बच्चों ने गर्मजोशी से स्वागत किया और "रीडाथोन" कार्यक्रम में शामिल हुए। सुबह 11:00 से 11:30 बजे तक सभी बच्चों ने रोचक कहानियों की किताबें पढ़ीं।प्रधानाध्यापक बरुण राय (उ. म. वि. विशुनपुर) ने बताया कि विद्यालय में बच्चों, बाल संसद और स्वयंसेवी संस्था सामाजिक परिवर्तन संस्थान, गिरिडीह के सहयोग से पुस्तकालय विकसित किया गया है, जिसमें शिक्षा विभाग और रूम टू रीड की किताबें उपलब्ध हैं। वहीं पीएम मध्य विद्यालय के प्रधानाध्यापक कृष्णकांत राय ने कहा कि विद्यालय में प्रतिदिन कक्षावार समय निर्धारित कर बाल साहित्य को पढ़ने-सिखाने को सीखने की प्रक्रिया का अभिन्न हिस्सा बनाया गया है।

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