आज देश कुछ ही महीनों पहले आजादी के 75 वें गणतंत्र दिवस मनाया पर आज भी पीरटांड़ प्रखंड मुलभूत सुविधाओं से वंचित रह गया है,सड़क और पुल-पुलिया के अभाव में आज भी खाट पर ढोए जाते हैं मरीज। प्राकृतिक सुंदरताओं से लबरेज़ जहां जैनियों का विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन है, जहां क्षेत्र विकास के नाम पर न जाने कितने धन इकट्ठा किया जाता है, जैनियों के द्वारा अनेक घोषणाएं की जाती है ऐसा पीरटांड़ प्रखंड आज भी प्रशासनिक लापरवाही और बुनियादी सुविधाओं के अभाव का दंश झेल रहा है। झारखंड अलग हुए 25 साल बीत जाने के बाद भी यहां सड़क और पुल-पुलिया का अभाव लोगों के जीवन को मुश्किल बना रही है। आलम यह है कि आधुनिक युग में भी यहां मरीजों को पुराने जमाने की तरह खाट पर ढोकर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है।ऐसा ही दर्दनाक नजारा बदगांवा पंचायत के अलकोको गांव में देखने को मिला।
यहां पंचायत समिति सदस्य बिनोद हेंब्रम ने स्वयं एक घायल व्यक्ति को खाट पर ढोकर गांव से बाहर निकाला। घायल व्यक्ति रशिक लाल धनबाद में सड़क हादसे का शिकार हो गया था । इलाज के बाद जब उन्हें घर लाया जा रहा था तो वाहन गांव तक नहीं पहुँच सका। मजबूरन ग्रामीणों को खाट पर लादकर उन्हें घर तक लाना पड़ा।गांव के पीएलवी बीरबल किस्कू ने बताया कि पीरटांड़ प्रखंड में दर्जनों गांव ऐसे हैं जहां आज भी लोगों को इसी तरह खाट पर ढोकर सड़क तक ले जाना पड़ता है। यह स्थिति न केवल परेशानी का कारण है बल्कि कभी-कभी मौत का सबब भी बन जाती है।ग्रामीणों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द सड़क और पुल-पुलिया का निर्माण कराया जाए ताकि लोगों को इस तरह की दुर्दशा से निजात मिल सके। यहां यह बताते चलें कि यहां के विधायक सुबे में रसुखदार मंत्री हैं फिर भी नतीजा ढाक के तीन पात है ।