दबे-कुचले की आवाज बने दिशोम गुरु शिबू सोरेन, पीरटांड़ से रहा गहरा नाता।
SHIKHAR DARPANTuesday, August 05, 2025
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पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।
झारखंड आंदोलन के पथप्रदर्शक और आदिवासी समाज की आवाज उठाने वाले ।दिशोम गुरु शिबू सोरेन का पीरटांड़ से गहरा जुड़ाव रहा है। 1970 के दशक में उन्होंने पारसनाथ की तराई क्षेत्र से महाजनी व सूदखोरी प्रथा के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत की थी। इस आंदोलन का केंद्र कुड़को के बारहगड़ी स्कूल एवं सतकटिया जैसे सुदूरवर्ती क्षेत्रों को बनाया गया, जहां उन्होंने आदिवासियों को संगठित कर शोषण के विरुद्ध एकजुट किया।शिबू सोरेन न केवल एक राजनेता बल्कि एक सामाजिक क्रांतिकारी भी थे, जिन्होंने पीरटांड़ क्षेत्र में नशामुक्ति, खेती और शिक्षा के प्रति भी लोगों को जागरूक किया।
उन्होंने इस क्षेत्र में सूदखोरी के चंगुल से आदिवासी समाज को मुक्त कराने का सफल प्रयास किया।बताया जाता है कि पिता की हत्या के बाद शिबू सोरेन ने पारसनाथ के जंगलों में शरण ली थी और वहीं से उन्होंने शोषण के खिलाफ संघर्ष की नींव रखी। वे वर्षों तक शाकाहारी भोजन और माधोलत की चाय के सहारे जीवन यापन करते हुए आदिवासी समाज के लिए लड़ते रहे। इसी दौरान उन्होंने सनोत संथाल समाज की स्थापना की और आंदोलन की ठोस रणनीति तैयार की।वर्ष 1970 में कुड़को पंचायत अंतर्गत बदरो गांव में सनोत संथाल समाज की पहली बैठक आयोजित की गई, जो इस संघर्ष का महत्वपूर्ण पड़ाव बना। पीरटांड़ के आदिवासियों ने इस आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई और शिबू सोरेन के साथ गहरा संबंध स्थापित किया।आज दिशोम गुरु के निधन पर पीरटांड़ की धरती उन्हें श्रद्धापूर्वक याद कर रही है, जहां से उनकी संघर्ष यात्रा ने इतिहास रचा।