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मधुबन में पर्युषण महापर्व की धुम,क्षमा धर्म के साथ ही पूजन और ध्वजारोहण के साथ महापर्व का शुभारंभ,लगी श्रद्धालुओं की भीड़।

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता। 

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन में जैन धर्म का शाश्वत पर्व पर्युषण (दशलक्षण महापर्व) गुरुवार से मधुबन में श्रद्धा और उत्साह के साथ प्रारंभ हो गया। पर्व के प्रथम दिन उत्तम क्षमा धर्म की आराधना की गई । मधुबन स्थित श्री  अणिन्दा पारसनाथ जिनालय के विशाल पंडाल में पूजन आराधन सम्पन्न की गई । कार्यक्रम में निर्यापक मुनिश्री समता सागर जी महाराज के संघ से गारिणी आर्यिका 105 गुरूमति माताजी,दृडमति माता जी, एवं गुणमति माता जी के मंगल सानिध्य में बड़ी संख्या में जैन समाज के लोग शामिल होकर शांति धारा,पूजन एवं प्रवचन का धर्मलाभ प्राप्त किया। माताजी ने अपने मंगल प्रवचन में क्षमा धर्म की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि – "क्षमा धर्म हमें प्रत्येक प्राणी के प्रति दया, करुणा, प्रेम और क्षमाशीलता अपनाने की प्रेरणा देता है।" क्रोध भाव एक मानसिक विकार है जो अत्यंत दुखदाई होता है ।

इसे हर देश में और हमेशा दुखदायक मानते हैं अतः यह यूनिवर्सल प्रॉब्लम है । क्रोध में, अग्नि में जलने जैसा दर्द होता है जिससे पहले हम जलते हैं बाद में दूसरे ।  क्रोध के कारण सभी निर्णय गलत होते हैं और सभी रिश्ते खराब होते हैं क्योंकि क्रोध विवेक का नाश करता है ।  कुछ क्षण का क्रोध करोड़ बुद्धि की कोशिकाओं को जलता है और नेत्रों को कमजोर कर देता है ।  क्रोध एक मानसिक विकार है तो इसका इलाज भी मानसिक ही है क्रोध भाव को नाश करने का उपाय क्षमा भाव को प्रकट करना है । यह क्षमा भाव उत्पन्न करने का एकमात्र उपाय कर्म का सिद्धांत समझना है किसी ने मेरा बुरा नहीं किया सब कर्म के फल है । पूरे विश्व में क्षमा का एक विशेष दिवस और क्षमा धर्म केवल जैन धर्म में ही मनाया जाता है ।

आज हम सबों को निर्णय लेना चाहिए कि हम अपने जीवन में क्षमा भाव की जागृति करेंगे और क्रोध का नाश करेंगे । दिनभर चले धार्मिक आयोजन के क्रम में श्रीजी का अभिषेक, शांतिधारा, आर्यिका माताजी का आशीर्वचन और ध्वजारोहण जैसे विविध कार्यक्रम हुए। जिनालय परिसर में वातावरण भक्ति और श्रद्धा से गूंज उठा। श्रद्धालुओं ने पारस्परिक क्षमायाचना कर आत्मशुद्धि और अहिंसा के पथ पर चलने का संकल्प लिया । इस अवसर पर हितेश चंद्र जैन, मनीषा जैन,नमन जैन,अमन जैन उदयपुर राजस्थान वालों की और से श्री अणिंदा पार्श्वनाथ जिनालय में भगवान की पालकी रखी गई ।  उधर बीस पंथी कोठी में भी दस लक्षण महापर्व बड़े ही धूमधाम के साथ आयोजित कि गई है । इस अवसर पर प्रातः 6,45 बजे अभिषेक, शांतिधारा,पूजन कोठी के सभी मंदिरों में की गई । वहीं संध्या 7 बजे से 8 बजे तक विमल समाधी मंदिर में भजन एवं सामुहिक मंगल आरती उतारी गई । जबकि रात 8 बजे से 9 बजे तक समवशरण मंदिर में भजन एवं सामुहिक मंगल आरती उतारी गई ।

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