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भगवान पुष्पदंत स्वामी का निर्वाण कल्याणक धूमधाम से मनाया गया।

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

विश्व प्रसिद्ध जैन तीर्थराज सम्मेद शिखर पर्वत पर रविवार को 9वें तीर्थंकर सुविधिनाथ (भगवान पुष्पदंत) स्वामी का निर्वाण कल्याणक महोत्सव आस्था और श्रद्धा के साथ मनाया गया। भाद्रपद शुक्ल अष्टमी के पावन अवसर पर सुबह से ही पर्वत की पवित्र वादियों में धार्मिक उल्लास का वातावरण बना रहा।धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सम्मेद शिखर पर्वत की सुप्रभ कूट टोंक से भगवान पुष्पदंत स्वामी ने 1000 मुनियों के साथ मोक्ष पद की प्राप्ति की थी। इस अवसर को स्मरणीय बनाने के लिए तीर्थक्षेत्र परिसर में भव्य आयोजन किया गया।सुबह से ही तीर्थयात्रियों द्वारा टोंक की साफ-सफाई की गई और प्रतिष्ठित चरण चिन्ह पर शांतिधारा एवं अभिषेक संपन्न हुआ। बाद में श्रद्धालुओं ने पूरे भाव-विभोर होकर निर्वाण कांड का पाठ किया और पारंपरिक रूप से निर्वाण लाडू अर्पित किया।

लाडू चढ़ाने की बोली इंदौर के अतुल बघेरवाल तथा भोपाल के अमृतलाल जैन ने ली।पूजन-अर्चना और आरती के दौरान जयघोष से पूरा पर्वत क्षेत्र गूंज उठा। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में जैन समाज के श्रद्धालु तीर्थयात्रियों ने भाग लिया और निर्वाण लाडू चढ़ाकर पुण्य लाभ अर्जित किया।इस मौके पर भारतवर्षीय दिगम्बर जैन तीर्थक्षेत्र कमेटी के पुजारी अशोक जैन, राधेश्याम पाठक सहित समिति के गार्ड, माली और अन्य सेवक भी उपस्थित थे, जिन्होंने आयोजन को सफल बनाने में सक्रिय भूमिका निभाई।श्रद्धालुओं का कहना था कि सम्मेद शिखर पर्वत पर प्रत्येक निर्वाण कल्याणक आस्था, भक्ति और पावन स्मृतियों को ताजा करने का अवसर प्रदान करता है। पर्वत की पवित्रता और तीर्थराज का महत्व जैन समाज ही नहीं, बल्कि पूरे देश-विदेश के यात्रियों को आत्मिक शांति का अनुभव कराता है।

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