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पीरटांड़ प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है सरहुल पर्व।

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

पीरटांड़ प्रखंड के विभिन्न क्षेत्रों में धूमधाम के साथ मनाया जाता है सरहुल का पर्व। यहां यह बता दें कि पीरटांड़ प्रखंड के 17 पंचायतों में सरहुल का पर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस त्यौहार के दौरान प्रकृति की पूजा की जाती हैं।सरहुल आदिवासियों के द्वारा मनाया जाने वाला एक प्रमुख पर्व है जो वसंत ऋतु में मनाया जाता है।इस पर्व में साल के पेड़ों पर खिलने वाला फूलों का विशेष महत्व है। मुख्यत: यह पर्व चार दिनों तक मनाया जाता है। जिसकी शुरूआत चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया से होती है।

पहले दिन मछली के अभिषेक किए हुए जल को घर में छिड़का जाता है।दूसरे दिन उपवास रखा जाता है। हर घर की छत पर साल के फूल को रखता है। तीसरे दिन पाहन द्वारा उपवास रखा जाता है तथा सरना पूजा स्थल पर सरई के फूलों की पूजा की जाती है,साथ ही बलि दी जाती है। चौथे दिन गिड़िवा नामक स्थान पर सरहुल फूल का विसर्जन किया जाता है। वही आदिवासी समाज के द्वारा कहीं सरहुल मिलन कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। तो कहीं नाच गान करके सरहुल मनाया जाता है।सरहुल पर्व को आदिवासी समाज के द्वारा बाहा पर्व भी कहा जाता है।यह पर्व पीरटांड़ के लगभग सभी गाँवो में मनाया जाता है।

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