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माँ दुर्गा के तीसरा स्वरूप देवी चंद्रघंटा की पूजा।

शिखर दर्पण संवाददाता।

सोमवार को नवरात्रि के पावन पर्व का तीसरा दिन है।  आज देवी के तीसरे स्वरूप मां चंद्रघंटा  की पूजा-अर्चना की जाती है। मां का यह रूप देवी पार्वती का विवाहित रूप है। भगवान शिव के साथ विवाह के बाद देवी महागौरी ने मस्तक पर अर्धचंद्र धारण किया इसलिए उनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। चंद्रघंटा को शांतिदायक और कल्याणकारी माना जाता है।मां के माथे पर अर्धचंद्र है इसीलिए इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है।माता चंद्रघंटा का शरीर स्वर्ण के समान उज्ज्वल है, इनके दस हाथ हैं।माता चंद्रघंटा की पूजा करने से साधक को गजकेसरी योग का लाभ प्राप्त होता है।मां चंद्रघंटा की विधिपूर्वक पूजा करने से जीवन में उन्नति, धन, स्वर्ण, ज्ञान और शिक्षा की प्राप्ति होती है।



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