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जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुवन मे कोरोंना महामारी से संस्थाओं की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है।

 मधुबन,संवाददाता।

वीर सिन्हा 

 संस्थाओं के अधिकारियों मे कोरोंना महामारी की भय से ज्यादा आर्थिक स्थिति का भय सता रहा है।गौरतलब हो की पीछले माह मार्च से कोरोना बिमारी के कारण यात्रियों का आगमन बंद रहने से होली महोत्सव पूरी तरह से ढंडा रहा।जहाँ होली पर पूरे भारत से हर वर्ष 20 से 25 हजार यात्री आकर पूरा आंनद उठाते थे।लेकिन ईस वर्ष कोरोना  महामारी के कारण तीन से चार हजार यात्री मे ही होली सिमट कर रह गयी ।

वही कोरोंना के कारण 22मार्च को एक दिन के लिए लोकडाउन व कर्फ्यू लगा दिया गया।ततपश्चात पुःन 25 मार्च से पूरे भारत मे लोकडाउन धोषणा कर दिया गया।फिर दुसरी बार ,तीसरी बार ऐसा बार बार लोकडाउन की तिथि बढते गया जिसके कारण यात्रियों का आगमन पूर्णरूप से बंद हो गया है।

वही लोकडाउन समाप्त होने पर सरकार की ओर से अनलोकडाउन धोषणा कर दिया गया।लेकिन अनलॉक डाउन के बाबजूद न ही सुंदर तरीके से ट्रेन की व्यवस्था है।और न वाहनों की तथा जगह जगह कोरोना से पिडीतो की संख्या में नित्यदिन ईजाफा हो रहा है।एवम रोग से मरने वालो की संख्या मे भी रोज बढ़ोतरी हो रही है।जिसके भय से तीर्थयात्रियों का आगमन बंद ही है।सनद रहे की मधुवन मे होली सीजन के बाद  श्रावण सप्तमी भगवान पार्श्वनाथ का मौक्ष कल्याणक महोत्सव होता है ।लेकिन ईस बार श्रावण सप्तमी भी ढंडा पडने जैसा उम्मीद लगाया जा रहा है।क्योंकि श्रावण सप्तमी महोत्सव मे पूरे भारत वर्ष से हर वर्ष पैंतिस से चालीस हजार यात्री आते थे।मधुवन का तमाम संस्थाओं के सभी रूम एक माह पूर्व टेलीफोन एवम ओन लाईन के सहारे बुक हो जाता था।और श्रावण सप्तमी के एक सप्ताह पूर्व से वेटिंग वाले यात्री पूरे मधुवन धुमना प्रांरभ कर देते थे ।

लेकिन ईस वर्ष मधुवन के कोई भी संस्था मे एक भी रूम बुकिंग का न फोन आया है और न ओन लाईन बुकिंग हुवा है।वही मधुवन के तमाम संस्थाओं मे सैकड़ों कर्मचारी कार्यरत है।जिनका सैलरी तय है।जिसका भुगतान कुछ संस्थाओं मे दिया गया है तो  कई संस्थाओं ने मासीक बेतन वतौर एडभांस दिया गया है।कर्मचारी लोग भी अपना मासिक वेतन का भुगतान के आशा मे बैठे है।लेकिन संस्था का आय व्यय की स्थिति देखते चुप बैढे है।संस्थाओं मे कर्मचारियों का वेतन के अलावे बिजली बील,पानी स्पलाई बील,साफ सफाई का मजदूरों का बील, मंदिर मे पुजा विधान का खर्च,मंदिर मे केशर ,चंदन , प्रक्षाल के लिए दुध,आगरवती,के अलावे अन्य अतिरिक्त भुगतन मुंहबाऐ खडा है।संस्था के अधिकारियों ने तीर्थयात्रियों के आगमन के भरोसे बैठे है।की जब यात्रीयों का आगमन होगा तब संस्थाओं का आमदनी होगा तभी बकाया रकम का भुगतन होगा।अन्यथा संस्थाओं मे ताला ही बंद रहेगा।

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