राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में अपना सीटी स्कैन मशीन नहीं।
SHIKHAR DARPANFriday, June 04, 2021
0
राँची, शिखर दर्पण संवाददाता।
राज्य के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल रिम्स में अपना सीटी स्कैन मशीन नहीं है। मशीन की कीमत 2 करोड़ है, जबकि रिम्स बीपीएल मरीजों की जांच के लिए हेल्थ मैप को 8 से 10 लाख रुपए हर माह भुगतान करता है। वहीं, रिम्स के रेडियोलॉजी विभाग में पढ़ने वाले पीजी चिकित्सक पीपीपी मोड में संचालित रेडियोलॉजी जांच घर हेल्थ मैप का सहारा लेते हैं। रिम्स में इस मशीन के होने से मरीजों को जांच कराने के लिए काफी कम पैसे चुकाने पड़ते थे, लेकिन वर्तमान में प्राइवेट जांच घरों में हजारों रुपए चुकाने पड़ते हैं। हाईकोर्ट ने कई बार रिम्स प्रबंधन को सीटी स्कैन मशीन के लिए फटकार लगाई, लेकिन प्रबंधन कोर्ट को भी सिर्फ आश्वासन देता रहा। हाईकोर्ट ने तो यहां तक कह दिया है कि रिम्स में सीटी स्कैन मशीन नहीं होना शर्म की बात है। बताते चलें कि रिम्स में पिछले दो सालों में सीटी स्कैन खरीद का मामला 6 बार से अधिक उठा।चार दिन पूर्व जब हाईकोर्ट ने दोबारा फटकार लगाई तो अब प्रबंधन का कहना है कि मशीन के लिए वर्क ऑर्डर पूरी कर ली गई है। जनसंपर्क अधिकारी डॉ. डीके सिन्हा ने बताया कि सीटी स्कैन खरीदने की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। वर्क ऑर्डर भी निकाला जा चुका है। लेकिन, उनका ही कहना है कि अभी मशीन के रिम्स पहुंचने में दो से तीन महीने का समय लगेगा। *निर्भरता हेल्थ मैप पर... रिम्स के मरीज महीने में कम से कम 62 लाख खर्च करते हैं सीटी स्कैन पर* रिम्स में सीटी स्कैन मशीन नहीं होने का जितना नुकसान मरीजों को हो रहा है, उतना ही फायदा पीपीपी मोड में संचालित रेडियोलॉजी जांच घर हेल्थ मैप को हो रहा है। सामान्य दिनों में सिर्फ रिम्स ओपीडी में 1500 से ज्यादा मरीज आते हैं। अधिकांश को चिकित्सक सीटी स्कैन लिखते हैं। कम से कम 200 मरीज रोजाना यहां सीटी स्कैन कराते हैं। कुल 18 तरह की सीटी स्कैन होती है। न्यूनतम शुल्क 1035 और अधिकतम शुल्क 5175 है। यदि सभी न्यूनतम शुल्क वाली जांच भी कराते हैं तो रोजाना 2 लाख और महीने में करीब 62 लाख की जांच होती है। *2019 में पूर्व निदेशक ने निकाला था टेंडर... एचओडी से विवाद के बाद एफआईआर तक हुई* रिम्स में सीटी स्कैन मशीन खरीद का मामला सुर्खियों में रहने का कारण यह भी है कि इसके लिए रिम्स के पूर्व निदेशक और रेडियोलॉजी के एचओडी के बीच विवाद हुआ था। एचओडी ने निदेशक के खिलाफ एसटी-एससी थाने में प्राथमिकी भी दर्ज कराई थी। उस वक्त पूर्व निदेशक डॉ. डीके सिंह ने 128 स्लाइस की दो मशीनें खरीदने के लिए टेंडर निकाला था। एचओडी डॉ. सुरेश टोप्पो चाहते थे कि 256 स्लाइस की एडवांस मशीन की खरीद रिम्स में हो। रिम्स निदेशक ने चिकित्सक के प्राइवेट प्रैक्टिस का मामला भी उठाया था। विवाद के बाद खरीद की प्रक्रिया रद्द कर दी गई थी। *कई बार पीजी चिकित्सक भी पढ़ाई के लिए मशीन की मांग को लेकर उठा चुके हैं आवाज* रेडियोलॉजी विभाग में डेढ़ साल पूर्व एमसीआई ने 4 सीटें बढ़ाई थी। साथ ही पहले के 3 सीट को भी मान्यता दी गई थी। चिकित्सकों को मशीन के बाद पढ़ाया और प्रैक्टिकल के माध्यम से उसे ऑपरेट करना सिखाया जाता है। ऐसे में रिम्स में जरूरी सीटी स्कैन उपकरण नहीं होने का कई बार पीजी चिकित्सकों ने आवाज उठाया था। उनका कहना था कि इतने बड़े संस्थान में जरूरी उपकरण नहीं हैं। बगैर जानकारी के उन्हें सिर्फ डिग्री देकर पासआउट किया जा रहा है। जबकि, उपकरण ऑपरेट करने की जानकारी तक उनके पास नहीं होगी। *खुद रिम्स भी करता है हेल्थ मैप को भुगतान* रिम्स में भर्ती बीपीएल मरीजों की जांच फ्री होती है। इसके लिए जांच में ले जाने से पूर्व रिम्स के उपाधीक्षक या विभागाध्यक्ष से जांच पर्ची में अलाव फ्री कराना पड़ता है। उस पर्ची को हेल्थ मैप जांच घर में जमा करने से मरीज के तो पैसे बच जाते हैं। लेकिन, उक्त जांच के पैसे रिम्स प्रबंधन को चुकाना पड़ता है।