जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत पर स्थित भगवन चन्द्रप्रभु और पार्श्वनाथ भगवान जी टोंक का दर्शन दादा गुरु विमल सागर जी महाराज जी और गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज जी के मंगल आशीर्वाद से सोमवार को प्रथम वंदना सिद्ध भूमि सानन्द सम्पन्न हुई,उक्त बातें जैनाचार्य विशुद्ध सागर महाराज ने कहा।उन्होंने कहा की भगवन चंद्रपभु की टोंक पे आज जीवन का सबसे बड़ा ग्रंथ वस्तुत्व महाकाव्य को पूर्ण किया।जल्दी ही आप सभी के मध्य में यह ग्रँथ आयेगा।साथ इस वर्ष होने वाली दीक्षा के सभी दीक्षार्थी भैया जी ने श्रीफल भेंट किया । शांति धारा का पाठ भी किया गया।साथ ही साथ बताया गया की अगामी 25 अप्रैल को उनके केशलोंच होंगे उसके लिए मंगल आशीर्वाद प्राप्त किया।
साथ ही साथ जैनाचार्य विशुद्ध सागर जी महाराज ने आज बहुत बड़ा नियम लिया उन्होंने पार्श्वनाथ भगवान के पावन चरणों में आजीवन शक्कर का त्याग करने का व्रत धारण किया ।अब आचार्य श्री के चार रसों का त्याग हो गया । जैसे तैल, दही, नमक शक्कर के बिना ही गुरु जी कीआहारचर्या किया जाएगा।गौरतलब हो की जैनाचार्य गुरु जी संसघ पुःन 01 अप्रैल को पारसनाथ पर्वत की वंदना पर जाएंगे।जहाँ पर 10 अप्रैल तक रूककर वंदना करेगे।महाराज श्री व ससंध की यात्रा पर पूर्ण ध्यान बिहार बंगाल उडीसा तीर्थ क्षेत्र कमिटि तेरापंथी कोठी के ट्रस्टी सुरेश सेठी कानकी,अजीत पान्डीया, कमल काला ,
पानीराज हेगड़े आदि लोगो का योगदान काफी सराहनीय रहा।वही जैनाचार्य ससंध के लोगों की पहाड की वंदना कर नीचे उतरने पर आचार्य विमल समाधी मंदिर के समिप 111 कलशो को लेकर कतार मे खडे होकर पूरे भक्ति भाव के साथ पाद प्रक्षालण भी किया गया।जिसमे मुख्य रूप से सुधाकर अन्नतदाते, बी०एन० चौगले, सुमन सिन्हा, शैलेश जैन,लाजपतराय जैन,रूपेश जैन,रवि जैन,संजय जैन,राहुल जैन,डीम्पल जैन,महेन्द्र तिवारी, धरमेन्दर सिंह, डां० त्रिपुरारी गीरी,देवेन्द्र जैन,आदि लोग शामिल थे।