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पारसनाथ पर्वत का दर्शन कर लौट रहे विशुद्ध सागर महाराज का 111 कलश ओर थाल से पाद प्रक्षाल।

पीरटांड़,शिखर दर्पण संवाददाता।

जैनियों के विश्व प्रसिद्ध तीर्थ स्थल मधुबन स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पर्वत पर स्थित भगवन चन्द्रप्रभु और पार्श्वनाथ भगवान जी टोंक का दर्शन ओर पूजन कर लौटे मधुबन जैनाचार्य विशुद्ध सागर महाराज। उन्होंने कहा कि दादा गुरु विमल सागर जी महाराज जी और गणाचार्य 108 विराग सागर जी महाराज जी के मंगल आशीर्वाद से प्रथम वंदना सिद्ध भूमि सानन्द सम्पन्न हुई।उन्होंने बताया की भगवन चंद्रपभु की टोंक पे आज जीवन का सबसे बड़ा ग्रंथ वस्तुत्व महाकाव्य को पूर्ण किया।

श्री सम्मेदशिखर पर्वत की वंदना कर मधुबन लौटने के क्रम में आचार्यश्री विशुद्ध सागर महाराज का पाद प्रकक्षाल ससंघ गाजे-बाजे के साथ किया गया किया गया।यह कार्यक्रम पारस ज्योति मंडल मधुबन की ओर से आयोजित किया गया था। जिसमे महराज विशुद्ध सागर जी का 111कलश ओर थाल से पाद प्रक्षाल कर आरती की गई। इस कार्यक्रम को मुख्य रूप से सफल बनाने में प्रबन्धक सुधाकर अन्नदाते, बी एन चौगले बिसपंथी कोठी,वरिष्ठ प्रबंधक सुमन कुमार सिन्हा, तीर्थक्षेत्र कमेटी शैलेश जैन सुधा , मनोज जैन, नागेन्द्र सिंह ,रूपेश जैन ,मनीष जैन राजेश जैन, लाजपतराय जैन रवि जैन, संजय जैन ,महेंद्र तिवारी,राहुल जैन,धर्मेंद्र सिंह डिम्पल जैन, के अलावे सेकड़ो लोग उपस्थित थे।

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