मजदूर विरोधी श्रम कानून को निरस्त करने /संशोधन करने की मांग।
SHIKHAR DARPANWednesday, October 28, 2020
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राँची,शिखर दर्पण संवाददाता।
1. इंडस्ट्रियल रिलेशन कोर्ट 2020 में श्रमिकों की संख्या 100 से बढ़ाकर 300 कर दिया गया है अर्थात 300 संस्थानों पर आई आर कोड 2020 लागू होगा आशय स्पष्ट है कि देश की लगभग 70 ℅ प्रतिष्ठान या फैक्ट्रियां इन कानून के दायरे से बाहर हो जाएंगे ऐसे उद्योगों में मालिकाओं का निजी कानून होगा जिससे मजदूरों का शोषन होगा हायर एंड फायर में बढ़ोतरी होगा । भारतीय. मजदूर संघ की मांग है कि 300 की संख्या से घटाकर संख्या 20 किया जाए ताकि मजदूर शोषण के शिकार होने से बच सके । 2. नए कोड के तहत फिक्स टाइम एम्पलाईमेंट प्रारंभ होने पर श्रमिक 1 वर्ष या दो या अधिक के लिए (किंतु एक फिक्स टाइम के लिए )नौकरी पर रखे जाएंगे फिर पूरा होने पर स्वत: ही उसकी नौकरी खत्म हो जाएगी अर्थात फिक्स्डटर्म एंप्लॉयमेंट के प्रारंभ होने से स्थाई रोजगार मिलना कठिन हो जाएगा अतः भारतीय मजदूर संघ मांग करती है कि इस नियम /कानून को पूर्णता खत्म किया जाए । 3. पहले आई डी एक्ट 1947 में रिट्रेंचड वर्कर को दोबारा फैक्ट्री में रखने की प्राथमिकता बिना किसी समय सीमा के थी आप ओ एस एच कोट 2020 में समय सीमा 1 वर्ष तक सीमित कर दिया गया है यानी छटनी के 1 वर्ष के भीतर यदि मालिक को आवश्यकता है तभी वह प्राथमिकता देगी । 4. बिल्डिंग एंड दूसरे कंस्ट्रक्शन वर्कर्स एक्ट 1996 एंड 1996 के अंतर्गत पहले 10 लाख तक की लागत से बनने वाले भवन से शेष एकत्रित करने का प्रावधान था जो सोशल सिक्योरिटी कोड 2020 में 5000000 (पचास लाख)कर दिया गया है यानी अब शेष कम इकट्ठा होगा जिससे श्रमिकों को मिलने वालीसुविधाओं ,समाजिक सुरक्षाओं का लाभ कम मिलेगी । 5. आईआर कोर्ट 2020 में श्रमिक को नियोक्ता के दे राशि प्राप्त करने हेतु नियत समय सीमा 1 वर्ष तक सीमित कर दिया गया है जबकि पहले ID Act 1947 के section 33 C(2) के तहत समय की कोई सीमा तय नहीं थी । 6. प्रतिष्ठान या कारखाने को बंद करने के मामले में भी सरकार प्रतिष्ठान या कारखाना मालिकों के हितों को सर्वोपरि रखा है क्लोजर या रिट्रेंचमेंट की स्थिति में श्रमिकों के हितों की रक्षा हेतु या क्षति पूर्ति सरकार ने दिलाने में कठोर निर्देश का प्रावधान नहीं किया है । 7. श्रमिकों को वाद दायर करने के लिए अधिकतम ₹18000 वेतन पाने वाले कोअधिकृत किया है जिससे कुशल और अतिकुशल श्रमिक वंचित रह जाएंगे । 8. नौकरी से निकालने या किसी प्रकार के विवाद को उठाने का समय पूर्व में 3 वर्ष था अब इसकी समयावधि 2 वर्ष कर दी गई है । 9. Lay off कोयला,, बिजली कच्चा माल मिशनरी आदि की कमी के कारण 45 दिन तक आधा वेतन का प्रावधान था उसे समाप्त कर दिया गया है । 10. पूर्व में फैक्ट्री के प्रावधान लागू होने हेतु श्रमिकों की न्यूनतम संख्या पावर के कारण होने की स्थिति में 10 थी जिसे बढ़ाकर 20 कर दिया गया है बिना पावर के कारण होने वाली फैक्ट्री में न्यूनतम संख्या 20 थी जिसे बढ़ाकर 40 कर दिया गया है यह प्रबधान भी श्रमिक विरोधी है भारतीय मजदूर संघ इन तमाम मजदूर बिरोधी कानून का विरोध करता है और निवेदन पुर्वक प्रधानमंत्री जी से आग्रह करते है कि इस प्रकार के मजदूर विरोधी कानुन को निरस्त करने की कृपा की जाय ।