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नवरात्र के सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि स्वरूप के पूजन।

शिखर दर्पण संवाददाता।

देवी दुर्गा की आराधना क्रम में नवरात्र की सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि सवरूप का पूजन किया जाता है। शारदीय नवरात्र में सप्तमी तिथि पर देवी के कालरात्रि स्वरूप के दर्शन पूजन का विधान है। इनके स्वरूप, स्वभाव और प्रभाव का आभास उनके नाम से ही हो जाता है। अंधकारमय परिस्थितियों का नाश करने वाली देवी अपने भक्त की  काल से भी रक्षा करती हैं।  देवी कालरात्रि के दर्शन पूजन नौ ग्रहों द्वारा खड़ी की जाने वाली बाधाएं दूर हो  जतीा हैं। देवी कृष्णवर्ण की हैं। देवी की उपासना करने से अष्ट सिद्धियां और नौ निधियों की प्राप्ति होती है। देवी कालरात्रि का मंदिर विश्वनाथ मंदिर के निकट कालिका गगी में है। शारदीय नवरात्र के पूजन में सप्तमी तिथि पर नीले रंग का उपयोग सामाजिक दृष्टिकोण से आप के लिए विशेष रूप से लाभकारी होगा। इस रंग की विशेषता यह है कि समाज के विभिन्न क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव छोड़ता है। यह रंग राहु को नियंत्रित करने वाला भी होता है। 



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