जैनियों के सुप्रसिद्ध तीर्थस्थल पारसनाथ पर्वत मे आए दिन धड़ल्ले के साथ वनो की कटाई अन्धाधुन्ध हो रही है। वहीं वन विभाग आंखे बंद कर बैठा है।ज्ञात हो की पारसनाथ पर्वत पारसनाथ वन प्रमंडल गिरिडीह मे एवम वन्य प्राणी आश्रयणी हजारीबाग मे बंटा रहने के कारण वनो की कटाई करने वाले पर कोई एक्शन नहीं होता है जिसका नुकसान पारसनाथ वन क्षेत्र पर पड रहा है।
जिसके कारण स्थानीय प्रबुद्ध जनता एवम जैन संस्थाओं पर भारी आक्रोश पनप रहा है।गौरतलब हो की पारसनाथ पर्वत मे नीचे से लगभग एक किलो मीटर तक गिरिडीह वन प्रमंडल का सीमाकंन है।वही एक किलोमीटर से उपर पहाड की चोटी तक वन्य प्राणी प्रमंडल हजारीबाग के जिम्मे का स्थल का सीमाकंन है।
जिसके कारण वनो का अवैध कटाई पूरे जोर -सोर से किया जा रहा है।दोनो विभाग के लोग एक दूसरे के माथे ढीकरा फोडने मे हमेशा लगे रहते है। वहीं वनो को उजाडने वाले , जंगल का नुकसान करने वाले फल फूल रहे है।मधुवन के वन प्रेमी तथा जैन संस्था के लोगों ने वन विभाग के अधिकारियों , जिला के उपायुक्त से वनो के कटाई करने पर रोक लगाने की मांग कि है।