शरत कुमार भक्त ।
:- धर्मक्षेत्रे।
वृन्दावन में रस कहाँ से आया ?
वृन्दावन में रस आया बरसाना से
बरसाना में रस कहाँ से आया ?
बरसाना में रस आया, श्रीराधा रानी जी के श्रीचरणों से
ये सभी जानते हैं कि श्रीराधा रानी जी का गाँव बरसाना है और यहाँ आने के लिए भगवान श्रीकृष्ण भी तरसा करते हैं। बहुत लोग इस बात को नहीं समझ पाते हैं। जो सबसे प्रधान श्रीराधा रानी जी का ग्रन्थ श्रीराधा सुधा निधि है, उसमें बरसाना की ही वंदना की गई है... बरसाने वारी श्रीराधा जी को कहते हैं। वो बरसाना गांव में रहती हैं, तो बरसाने वारी हुईं...और वो प्रेम की वर्षा कर रही हैं,तो इसी वाक्य को चरितार्थ करने हेतु भी बरसाने वारी हुईं।
रसिक लोग कहते हैं कि- श्रीराधा रानी जी को प्रणाम करने की योग्यता तो हम किसी में नहीं है... उनके श्रीचरणों को अनंत कोटि ब्रह्माण्ड नायक भगवान श्रीकृष्ण भी छूने में हिचकते हैं और बड़े भय से उनके श्रीचरणों को छूते हैं... हमलोग गृरु कृपा से श्रीराधा जी के श्रीचरणों को स्पर्श करने की साहस जुटा पाते हैं...जब वो श्रीजी के श्रीचरणों को छूने जाते हैं, तो वो प्रेम से मुस्कुराती हैं... तो रसिक श्याम डर जाते हैं कि- कहीं ऐसा ना हो लाड़ली जी को मेरा स्पर्श से कष्ट हो...फिर वो मान कर लें... क्योंकि कोमलता भी यहां लज्जित है...इतनी कोमल श्रीचरण हैं श्रीराधा रानी जी की।
इसिलिए भयभीत होकर पीछे हट जाते हैं हमारे श्यामसुंदर जी। उन श्रीचरणों से ही जो सरस रस बिखरा, प्रेमरस बिखरा उस रस को पाकर के गोपीजन ही नहीं स्वयं भगवान श्रीकृष्ण भी धन्य हुए। श्रीजी के चरण पलोटत श्याम। सेवत सेवाकुंज में बांकेबिहारी जी आज। वृंदावन के बांकेबिहारी जी के प्रकटकर्ता स्वामी श्री हरिदास जी लिखते हैं कि- (ता ठाकुर को ठकुराई )वो बोले कि ये मत समझना कि बांकेबीहारी जी सर्वोच्चपति हैं... सब ठाकुरों के ठाकुर ये बांके बिहारी जी हैं अवश्य... लेकिन इनकी भी ठकुराइन हैं हमारे श्रीराधा रानी जी... बोलीये श्रीराधा रानी की जय ।