Type Here to Get Search Results !

पारसनाथ का कण कण पूजनीय ।

शरत कुमार भक्त।

        पारसनाथ वन्य प्राणी आश्रयणी।

झारखंड बिहार का सर्वोच्च पर्वत पारसनाथ जो जैन धर्म के इतिहास में सबसे पूजनीय स्थल है जैन धर्म के अनुसार जैनों के 24 भगवान में से 20 भगवान को मोक्ष का पद यही मिला था इसलिए इस पर्वत को तपस्थली भी कहा जाता है । प्राचीन काल  से ही पारसनाथ पर्वत की अपनी महत्ता रही है । यहां जैन धर्म के क्रमशः पदम प्रभु, सुपार्श्वनाथ, मुनि सुब्रत नाथ, मल्लिनाथ, चन्द्र प्रभु, अरहनाथ, अनंत नाथ, अजित नाथ,सम्भव नाथ,सुमति नाथ,नमिनाथ, कुंथुनाथ, अभिनंदन नाथ, शांतिनाथ, धर्म नाथ, विमल नाथ, पार्श्वनाथ, श्रेयांसनाथ, पुष्पदंत नाथ, एवं शीतल नाथ भगवान निर्वाण पद को प्राप्त किए हैं ।
वही जैन धर्म के मात्र चार भगवान आदिनाथ कैलाश पर्वत पर, नेमिनाथ गिरनार पर्वत पर, वासु पूज्य चंपापुर एवं जैन धर्म के अंतिम भगवान महावीर भगवान पावापुरी में मोक्ष पद को प्राप्त किया है । कहते हैं कि जैन शास्त्रों के अनुसार कहा है कि एक बार बंदे जो कोई ताहि नरक पशु गति नहीं हुई मतलब जो एक बार पारसनाथ पर्वत की बंदना कर लेगा उसको नर्क में नहीं जाना पड़ेगा पारसनाथ का कंकन पूजनीय है कन कन में शंकर वास करते जैन धर्म शास्त्र के अनुसार पारसनाथ पर्वत से 20 20 तीर्थंकरों के अलावे असंख्य आचार्य ,मुनी, साधु, साध्वी, एलक छुलक श्रावक श्राविका एवं भक्तगण मोक्ष पद को प्राप्त किए इसीलिए पारसनाथ जैन धर्म में विश्व का सबसे बड़ा तीर्थ स्थल माना जाता है ।
जैन धर्मा वलियों के अलावे प्रतिवर्ष लाखों अजय लोग भी पारसनाथ पर्वत का दर्शन पूजन करते हैं वही मधुबन स्थित बाबा भोमिया की भी पूजा अर्चना करते हैं । कहते हैं कि बाबा भोमिया पालगंज राजघराने की भवानी देवी थी जब पालगंज राजा 1734 में पारसनाथ पर्वत को बेचा तब उस बरगद के पेड़ को भोमिया जी का स्वरूप दे दिया गया जो मधुबन के छत्र रक्षक कहलाते हैं जहां जैनियों के अलावा इस क्षेत्र के हजारों अजैनी भी भौमिया बाबा की पूजा अर्चना करते हैं । वहीं झारखंड सरकार के गजट के अनुसार पारसनाथ को वन एवं पर्यावरण विभाग की ओर से वन्य प्राणी प्राणी घोषित करके रखा गया है जो हजारीबाग प्रमंडल के अंतर्गत आता है ।
यह पारसनाथ का वन शुष्क पर्णपाती सालवन है इसका क्षेत्रफल 49, 33वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला है । इसकी अधिसूचना 21 अगस्त 1984 को की गई थी जो गिरिडीह जिला अंतर्गत आता है । पारसनाथ पर्वत में महत्वपूर्ण जो नदी नाले हैं उसमें सीतानाला, गंधर्व नाला ,गिती नाला कैरा झरना आदि शामिल है । वही इस अस्त्र यानी के अंदर जो महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं उसमें वाच टावर, कुर्थीबाड़ी ,जल मंदिर, गौतम स्वामी टांक,चंदा प्रभु ,एवं पारसनाथ मंदिर शामिल है । वहीं पर्यटन के क्षेत्र में यहां जो सुविधा है उसके अंतर्गत मधुबन में जैन धर्म के विभिन्न समुदायों द्वारा चलाए जा रहे धर्मशाला पारसनाथ पहाड़ पर सरकारी डाक बंगला आदि शामिल है लेकिन वर्तमान में सरकारी डाक बंगला में पुलिस कैंप स्थापित कर दिया गया है ।
आज त्रिवेणी के अंतर्गत पाए जाने वाले महत्वपूर्ण पक्षियों में ओरियोल, क्रॉ फिजेंट, बटेर, कबूतर, जंगली मुर्गा, चील,मोर, टिटहरी,बी ईटर, हुदहुद, तोता ,कोयल ,तीतर, स्विफ्ट, जंगल नाइट जार, मैना, कठखोदवा, ड्रॉन्गो ,मुनिया, बैब्लर, वेगटेल, पैराडाइज फ्लाई कैचर, मैगपाई रोबिन ,कौवा ,सन बर्ड ,धनेश ,बुलबुल ,श्राइक, ट्री पाई, उल्लू गौरैया काला कौवा आदि शामिल है । वही स्तनधारियों में कोटरा, जंगली सूअर ,जंगली बिल्ली, साहिल, नेवला, लकड़बग्घा, खरहा, बंदर, लोमड़ी, सियार ,वज्र किट, सांभर, चीतल ,भालू एवं तेंदुआ पाए जाते हैं । जबकि सांपों में गेहूंअन, अजगर, करैत, हरहरा, धामिन एवं गो देखे जा सकते हैं ।

Post a Comment

1 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.