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नगर भवन में सिद्धों कान्हू कृषि एवं वनोपेज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन।

गिरिडीह,शिखर दर्पण संवाददाता।

नगर भवन में आज सिद्धों कान्हू कृषि एवं वनोपेज राज्य सहकारी संघ लिमिटेड के तहत जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। जिला उपायुक्त रामनिवास यादव, उप विकास आयुक्त स्मृता कुमारी, जिला सहकारिता पदाधिकारी समेत अन्य संबंधित अधिकारियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यशाला का विधिवत शुभारंभ किया। उक्त कार्यशाला को संबोधित करते हुए जिला उपायुक्त रामनिवास यादव ने कहा कि ग्रामीणों को अब वनोपज का मलिकाना हक मिलेगा। इसके लिए प्रशासन सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज सहकारी संघ का गठन कर अनुसूचित जनजाति एवं ग्रामीणों को वनोपज उत्पादन एवं संग्रहित उत्पादों का उचित पारिश्रमिक दिलाने की कवायत शुरू की है। इसमें कृषि एवं वनोपज जैसे धान, गेहूँ, सब्जी, फल, कुटकी, सरगुज, चिरौंजी, नट चिरोता, आवला, बिडी पत्ता, महुआ, करंज, हरे, बहेरा, रेशम, तशर, लाह आदि का उत्पादन संकलन प्रसंस्करण, अनुसंधान तथा विकास की विभिन्न गतिविधियों को सहकारी आधार पर संगठित किया जायेगा।

क्रय विक्रय को ऐसी व्यवस्था होगी जिसमें सदस्यों को सर्वोतम लाभ मिल सके। विभागीय संकल्प के अनुसार सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज राज्य सहकारी संघ का गठन किया गया है। इसका दायित्व है कि कृषि एवं अनुसंगी गतिविधियों तथा वनोपज के व्यापार से ठिकेदारी प्रथा पूर्ण रूप से समाप्त करना है। अनुसूचित जनजाति एवं ग्रामिणों को अब वनोपज का सिधा लाभा मिलेगा। आगे उपायुक्त ने कहा कि सहकारिता के माध्यम से सरकार की विभिन्न जन कल्याणकारी योजनाओं के लक्ष्य को प्राप्ति करने हेतु प्रेरित किया गया, साथ ही कृषि एवं वनोपज के माध्यम से सशक्तिकरण हेतु सिडकोफेड के कार्याकलापों की सराहना की। सहकारी समिति के सदस्यों को संघ के माध्यम से अपने उपज का अधिकतम मूल्य प्राप्त करने और सहकारिता के माध्यम से बिचौलियों के शोषण से मुक्त होने से संबंधित जानकारियों को विस्तार से साझा किया गया।

इस अवसर पर वन प्रमंडल पदाधिकारी ने कहा कि सिद्धो-कान्हो कृषि एवं वनोपज जिला सहकारी संघ लिमिटेड (सिद्धकोफेड) एक राज्य स्तरीय शीर्ष सहकारी संस्थान है, जो कृषि पशुपालन एवं सहकारिता विभाग (सहकारिता प्रभाग) झारखण्ड सरकार से निबंधित है। उन्होंने कहा इसका दायित्व कृषि एवं वनोपज की खरीद, भंडारण, प्रसंस्कारण और विपणन, बीज, उर्वरक, कीटनाशक आदि का इनपुट व्यवसाय, कृषि अवसंरचना के लिए वेयर हाउस, गोदाम, कोल्ड स्टोरेज, प्रसंस्करण ईकाइयों, राईस मिल इत्यादि है।इसके अलावा जिला सहकारिता पदाधिकारी ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि शीर्ष संगठनों एवं निजी कंपनियों के साथ विपणन हेतु संस्थागत सहयोग करना, सहकारी योजनाओं से संस्थागत अनुदान एवं अवसंरचना हेतु अभिसरण तथा लाह, शहद आदि के उत्पादन में वृद्धि सहित अन्य गतिविधियां है।

*एक दिवसीय जिला स्तरीय कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य:-
केन्द्र एवं राज्य सरकार के विभिन्न योजनाओं से MPCS के माध्यम से राज्य के कृषकों/वनोपज संग्रहकों को ज्यादा से ज्यादा जोड़ा जा सके तथा उनके उत्पाद का उचित मूल्य दिलाया जा सके।सभी MPCS को जिला सहकारी यूनियन का साधारण सदस्य (शेयर धारक) बनाना। जिलान्तर्गत कार्यरत FPO को जिला सहकारी यूनियन/सिद्वकोफेड से नाममात्र सदस्य के रूप में जोड़ना।सभी MPCS में सदस्यता अभियान चलाकर कार्यक्षेत्र अंतर्गत शत प्रतिशत परिवारों को जोड़ना।प्रधानमंत्री किसान समृद्धि योजना (PMKSY) के क्रियान्वयन हेतु इच्छुक एवं योग्य MPCS का चयन।कृषि एवं वनोपज उत्पादों के व्यवसाय हेतु MPCS को क्रैडिट लिन्केज की सुविधा प्रदान कराना।

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