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झारखंड आंदोलनकारीयो ने वनांचल शब्द हटाने का किया विरोध।

निमियाघाट,शिखर दर्पण संवाददाता।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा झारखंड/आंदोलनकारी आयोग से वनांचल शब्द को हटाने के निर्णय उनकी संकीर्ण मानसिकता को प्रदर्शित करती है।यह कहना है स्थानीय झारखंड आंदोलनकारियों का।आंदोलनकारी शुक्रवार को डुमरी में बैठक कर सरकार के निर्णय की भर्त्सना किया।आंदोलनकारियों ने कहा कि वनांचल शब्द सिर्फ एक शब्द नहीं है अपितु अलग राज्य बनाने के मुद्दे पर भाजपा द्वारा चलाये गए एक लंबे आंदोलन में आंदोलनकारियों के लिए संघर्ष का प्रतीक रहा है।कहा कि अलग झारखंड राज्य आंदोलन के आंदोलन के तहत कई बार आर्थिक नाकेबंदी करने के साथ साथ गांव से लेकर दिल्ली तक संघर्ष किया था।कहा कि झारखंड/वनांचल आंदोलनकारियों के नाम से गठित आयोग के द्वारा हजारों आंदोलनकारियों को चिन्हित कर राज्य में तत्कालीन एनडीए की सरकार ने आंदोलनकारियों को सम्मानित करने का काम किया था लेकिन वर्तमान राज्य सरकार ने आयोग के नाम से वनांचल नाम को हटाकर आंदोलनकारियों के भावनाओं के आहत करने का काम किया है।कहा कि वर्तमान राज्य सरकार को आंदोलनकारियों की सुविधा की बढ़ोतरी करने की बात पर विचार करना चाहिए था नहीं कि उसको बांटने संबंधी निर्णय लेना चाहिए।कहा कि हम आंदोलनकारियों को यह जानकारी ही नहीं है कि झारखंड आंदोलनकारी मोर्चा नामक संगठन कब अस्तित्व में आया और कब वनांचल शब्द हटाने का प्रस्ताव सरकार को दिया था।आंदोलनकारियों ने सरकार से मांग किया है कि पूर्व में गठित झारखंड/वनांचल आयोग के नाम पर कोई भी शब्द को हटाने का काम नहीं किया जाए ताकि किसी भी आंदोलनकारी की भावना आहत नहीं हो।इस दौरान प्रशांत जायसवाल,जीवाधन महतो, आशीष कुमार,सतीश कुमार साहू,राजेन्द्र अग्रवाल राजू, जितेन्द्र साव,किशोरी दास, तुलसी महतो,शंभूशरण सिंह, तिलकचंद महतो,सुलोचना देवी आदि उपस्थित थे।

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