शिखर दर्पण संवाददाता।
नवरात्रि के नौवें और अंतिम दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है।इस दिन को महानवमी भी कहते हैं।मान्यता है कि मां दुर्गा का यह स्वरूप सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाला है।कहते हैं कि सिद्धिदात्री की आराधना करने से सभी प्रकार के ज्ञान आसानी से मिल जाते हैं। साथ ही उनकी उपासना करने वालों को कभी कोई कष्ट नहीं होता है।नवमी के दिन कन्या पूजन को कल्याणकारी और मंगलकारी माना गया है।पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शिव ने सिद्धिदात्री की कृपा से ही अनेकों सिद्धियां प्राप्त की थीं। मां की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ था।इसी कारण शिव 'अर्द्धनारीश्वर' नाम से प्रसिद्ध हुए। मार्कण्डेय पुराण के अनुसार अणिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, महिमा, ईशित्व और वाशित्व ये आठ सिद्धियां हैं। मान्यता है कि अगर भक्त सच्चे मन से मां सिद्धिदात्री की पूजा करें तो ये सभी सिद्धियां मिल सकती हैं।मां सिद्धिदात्री का स्वरूप बहुत सौम्य और आकर्षक है। देवी सिद्धिदात्री का वाहन सिंह है।मान्यता है कि मां सिद्धिदात्री को लाल और पीला रंग पसंद है।उनका मनपसंद भोग नारियल, खीर, नैवेद्य और पंचामृत हैं।